आधुनिक काल गद्य MCQ Quiz in বাংলা - Objective Question with Answer for आधुनिक काल गद्य - বিনামূল্যে ডাউনলোড করুন [PDF]
Last updated on Apr 13, 2025
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आधुनिक काल गद्य Question 1:
"रुपए हों तो न हुक्का-पानी का काम है, न जात-बिरादरी का। दुनिया पैसे की है, हुक्का-पानी कोई नहीं पूछता।"
उपर्युक्त कथन 'गोदान' उपन्यास में किसका है?
Answer (Detailed Solution Below)
आधुनिक काल गद्य Question 1 Detailed Solution
"रुपए हों तो न हुक्का-पानी का काम है, न जात-बिरादरी का। दुनिया पैसे की है, हुक्का-पानी कोई नहीं पूछता।"यह कथन 'गोदान' उपन्यास में गोबर का है।Key Pointsगोदान उपन्यास-
- लेखक - मुंशी प्रेमचंद
- प्रकाशन वर्ष - 1936 ई.
- गोदान उपन्यास के पात्र - होरी, धनिया, गोबर, सोना, रूपा, मातादीन, दुलारी सहूआइन, मगरू साहू, पटरेश्वरी लाल, झींगुरी सिंह, पंडित नोखेराम, सिलिया, भोला, नोहरी, हीरा, शोभा, दरोगा, राय साहब अमरपाल सिंह, डॉ. बी. मेहता, मिस मालती, मिस्टर चंद्र प्रकाश खन्ना, ओंकार नाथ।
- गोबर - होरी और धनिया का बेटा।
- 16 साल का, सांवला, लंबा इकहरा युवक।
- काम में रुचि नहीं।
- मुख पर असंतोष और विद्रोह।
- मुख्य - यह प्रेमचंद जी का अंतिम पूर्ण उपन्यास है।
- इसमें प्रेमचंद ने किसी एक समस्या को उठाने की बजाय तत्कालीन भारतीय समाज की लगभग हर समस्या को एक साथ उठाया है।
- इसी कारण गोदान को भारतीय जीवन का महाकाव्य भी कहा जाता है।
- देवस्थान रहस्य (1905 ई.)
- प्रेमा (1907 ई.)
- सेवासदन (1918 ई.)
- वरदान (1921 ई.)
- प्रेमाश्रम (1922 ई.)
- रंगभूमि (1925 ई.)
- कायाकल्प (1926 ई.)
- निर्मला (1927 ई.)
- प्रतिज्ञा
- की बेटी बाल - विधवा।
- ऐसा प्रेम चाहती है जिससे लिये वह जिए और मरे जिस पर अपने आप को समर्पित कर दे।
- धनिया का पति।
- बेलारी गांव का निवासी।
- गाय की लालसा जीवन का सबसे बड़ा स्वप्न।
- गांव का सबसे बड़ा महाजन शहर के बड़े महाजन के एजेंट।
आधुनिक काल गद्य Question 2:
रामवृक्ष बेनीपुरी की रचनाएँ है -
Answer (Detailed Solution Below)
आधुनिक काल गद्य Question 2 Detailed Solution
उपर्युक्त दोनों रचनाएं रामवृक्ष बेनीपुरी की है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (3) सही है।
Key Points
- रामवृक्ष बेनीपुरी (23 दिसंबर, 1889 - 7 सितंबर, 1968)
- वे हिन्दी साहित्य के "शुक्लोत्तर युग" के प्रसिद्ध साहित्यकार थे।
- उनके सम्मान में बिहार सरकार द्वारा वार्षिक अखिल भारतीय रामवृक्ष बेनीपुरी पुरस्कार दिया जाता है।
संस्मरण तथा निबन्ध |
रचना वर्ष |
पतितों के देश में |
1930-33 |
चिता के फूल |
1930-32 |
लाल तारा |
1937-39 |
कैदी की पत्नी |
1940 |
माटी |
1941-45 |
गेहूँ और गुलाब |
1948–50 |
जंजीरें और दीवारें |
----- |
उड़ते चलो, उड़ते चलो |
----- |
मील के पत्थर |
----- |
आधुनिक काल गद्य Question 3:
इनमें से कौैन-सा व्यक्ति ललित निबंधकार नहीं है ?
Answer (Detailed Solution Below)
आधुनिक काल गद्य Question 3 Detailed Solution
रामचन्द्र शुक्ल ललित निबंधकार नहीं है।
रामचन्द्र शुक्ल
- वह निबंधकार अवश्य थे परंतु वह ललित निबंधकार नहीं थे।
- शुक्ल जी हिन्दी साहित्य के मूर्धन्य आलोचक, श्रेष्ठ निबंधकार, निष्पक्ष इतिहासकार, महान शैली-कार एवं युग-प्रवर्तक आचार्य थे।
अन्य विकल्प गलत है।
Important Pointsललित निबन्धकार व उनके महत्त्वपूर्ण निबंधों के नाम -
हजारीप्रसाद द्विवेदी | विद्यानिवास मिश्र | कुबेरनाथ राय |
अशोक के फूल(1948) कल्पलता(1951) विचार और वितर्क(1957) कुटज(1964) आलोक पर्व(1972) |
छितवन की छाहँ(1953) हल्दी दूब(1955) तुम चन्दन हम मेरे राम का मुकुट भीग रहा है(1974) |
नीलकंठी (1969) रस आखेटक (1970) विषाद योग (1973) निषाद |
Additional Informationललित निबन्ध
- ललित निबन्धों में निबन्धकार अपने भावमात्मक व्यक्तित्व को इस रूप में प्रस्तुत करना चाहता है कि वह सरस्,अनुभूति-जन्य,आत्मीय और रोचक लगे।
- इसमें बल सरस शैली पर दिया जाता है।
- इसकी भाषा मे शुष्कता नही बल्कि कल्पनाशीलता,सहजता व सरसता होती हैं।
- प्रमुख ललित निबन्धकार -हजारीप्रसाद द्विवेदी,विद्यानिवास मिश्र,कुबेरनाथ राय, विवेकी राय आदि।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल
- जन्म - 4 अक्टूबर, 1884 ई.
- निधन - 2 फरवरी, 1941 ई.
कृति -
- निबंध - चिन्तामणि, विचार वीथी
- आलोचना - सूरदास, रसमीमांसा, त्रिवेणी
- इतिहास - हिन्दी साहित्य का इतिहास
- अनुवाद - मेगस्थनीज का भारतवर्षीय विवरण, आदर्श जीवन, कल्याण का आनंद, विश्व प्रबंध, बुद्धचरित
- सम्पादन - जायसी ग्रन्थावली, तुलसी ग्रन्थावली, भ्रमरगीत सार, हिन्दीशब्द सागर, काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका, आनन्द का दम्बिनी
आधुनिक काल गद्य Question 4:
श्रीलाल शुक्ल को किस उपन्यास के लिए कई सारे पुरस्कार प्राप्त हुए?
Answer (Detailed Solution Below)
आधुनिक काल गद्य Question 4 Detailed Solution
श्रीलाल शुक्ल को राग दरबारी उपन्यास के लिए कई सारे पुरस्कार प्राप्त हुए।
- 'राग दरबारी' (1968) विख्यात हिन्दी साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल की प्रसिद्ध व्यंग्य रचना है,
- जिसके लिये उन्हें सन् 1969 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- यह ऐसा उपन्यास है जो गाँव की कथा के माध्यम से आधुनिक भारतीय जीवन की मूल्यहीनता को सहजता और निर्ममता से अनावृत करता है।
- शुरू से अन्त तक इतने निस्संग और सोद्देश्य व्यंग्य के साथ लिखा गया हिंदी का शायद यह पहला वृहत् उपन्यास है।
Key Pointsश्रीलाल शुक्ल का अन्य उपन्यास:-
- सूनी घाट का सूरज (1957)
- अज्ञातवास (1962)
- आदमी का ज़हर (1972)
- सीमाएँ टूटती हैं (1973)
- ‘मकान' (1976)
- ‘पहला पड़ाव’(1987)
- ‘विश्रामपुर का संत' (1998)
- बब्बरसिंह और उसके साथी (1999)
- राग विराग (2001)
आधुनिक काल गद्य Question 5:
'हिमाद्रि तुंग शृंग' गीत किस नाटक से लिया गया है?
Answer (Detailed Solution Below)
आधुनिक काल गद्य Question 5 Detailed Solution
यह गीत चंद्रगुप्त नाटक में लिखा गया है।
Key Points
- चंद्रगुप्त जयशंकर प्रसाद का नाटक है। इसकी रचना 1931 में हुई।
जयशंकर प्रसाद-(1889-1937)
- हिन्दी के कवि, नाटककार, कहानीकार, उपन्यासकार तथा निबन्ध-लेखक थे।
- वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं।
प्रमुख रचनाएँ-
- प्रेमपथिक 1909
- झरना 1918
- आँसूं 1924
- करुणालय 1913
- चित्राधार 1918
- महाराणा का महत्त्व 1914 आदि।
Additional Information
रचना | प्रकाशन वर्ष | रचनाकार | विधा |
स्कंदगुप्त |
1928 ई. |
जयशंकर प्रसाद | नाटक |
आधे-अधूरे |
1969 ई. |
मोहन राकेश | नाटक |
ध्रुवस्वामिनी | 1933 ई. | जयशंकर प्रसाद | नाटक |
आधुनिक काल गद्य Question 6:
रामचंद्र शुक्ल की कृति है
Answer (Detailed Solution Below)
आधुनिक काल गद्य Question 6 Detailed Solution
सही उत्तर है - "चिंतामणि"
- चिंतामणि(भाग-1) सन् 1939 में प्रकाशित आचार्य रामचंद्र शुक्ल द्वारा रचित हिन्दी का निबंधात्मक(समालोचना) ग्रंथ है।
- चिन्तामणि के प्रमुख निबन्ध हैं - भाव या मनोविकार, उत्साह, श्रद्धा और भक्ति, करुणा, लज्जा और ग्लानि, घृणा, ईर्ष्या, भय, क्रोध, कविता क्या है, काव्य में लोक मंगल की साधनावस्था।
- इस पुस्तक के चार भाग हैं।
- पुस्तक का दूसरा भाग सन् 1945 ई. में विश्वनाथ प्रसाद मिश्र के संपादन में प्रकाशित हुआ था।
- चिंतामणि का तीसरा भाग नामवर सिंह के संपादन में सन् 1983 में प्रकाशित हुआ था।
- चौथा भाग सन् 2002 में कुसुम चतुर्वेदी एवं ओमप्रकाश सिंह के संपादन में प्रकाशित हुआ जिसमें 47 निबंध हैं।
Key Pointsअन्य विकल्पों का विश्लेषण -
रचना | रचनाकार | प्रकाशन वर्ष |
हिन्दी साहित्य : उद्भव और विकास | आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी | 1952 |
हिंदी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास | डॉ रामकुमार वर्मा | 1938 |
पद्मावत | मलिक मोहम्मद जायसी | 1540(लेखन वर्ष) |
Additional Informationआचार्य रामचंद्र शुक्ल -
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हिन्दी आलोचक, कहानीकार, निबन्धकार, साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और कवि थे।
- उनके द्वारा लिखी गई सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पुस्तक है हिन्दी साहित्य का इतिहास, जिसके द्वारा आज भी काल निर्धारण एवं पाठ्यक्रम निर्माण में सहायता ली जाती है।
- हिन्दी में पाठ आधारित वैज्ञानिक आलोचना का सूत्रपात भी उन्हीं के द्वारा हुआ।
आधुनिक काल गद्य Question 7:
इनमें से कौन-सा उपन्यास प्रेमचन्द्र का नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
आधुनिक काल गद्य Question 7 Detailed Solution
- 'शेखर एक जीवनी' उपन्यास प्रेमचन्द्र का नहीं है,अन्य विकल्प असंगत है। अत: विकल्प 4 'शेखर एक जीवनी' सही उत्तर होगा।
- ‘शेखर एक जीवनी’ महज एक उपन्यास नहीं है और न ही कथानायक शेखर की जीवनी का लेखा-जोखा, वरन् स्नेह और वेदना का जीवन-दर्शन भी है, जिसे लेखक ने अपने जीवनानुभवों के विस्तृत दायरे के सूत्र में पिरोया है।
- सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ की यह अमर कृति हिन्दी साहित्य में मील का पत्थर है।
- प्रमुख चरित्र शेखर एक आदर्शवादी सिद्धान्तप्रिय युवक है, जिसे पराधीनता स्वीकार नहीं, जो अपने तर्को से समाज को बदलना चाहता है, जो बहस की हद तक तर्क करता है।
- जेल में अपने मन को खूब खंगालता है, शारदा के प्रति आकर्षण और शशि के प्रति अगाध स्नेह को जीवन का अर्थ और उद्देश्य समझता है।
- कहीं वह पलायनवादी हो जाता है तो कहीं यथार्थवादी के रूप में नियति को चुपचाप स्वीकार कर लेता है।
- ‘शेखर: एक जीवनी’ उपन्यास अज्ञेय की बहुचर्चित मनोवैज्ञानिक उपन्यास है।
- शेखर- मुख्य पात्र, जो कि उपन्यास का केंद्रबिंदु है। इसका स्वभाव विद्रोही है। बंधन से घृणा करता है और बन्धन मुक्त रहना चाहता है।
- सरस्वती – शेखर की बहन। जो कि शेखर की प्रेरक एवं गुरु भी है।
- शारदा – मद्रासी परिवार की लड़की है, स्वभाव चंचल तथा स्पष्ठवादिता। शेखर इसकी ओर आकर्षित होता है।
- शशि – शेखर की मौसेरी बहन। इसके प्रति भी शेखर आकर्षित होता है। संघर्ष का सामना करने वाली नारी है। अतिरिक्त पात्र – शेखर की माँ, माणिका तथा शांति
- प्रेमचंद धनपत राय श्रीवास्तव नाम से जाने जाते हैं
- वो हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे।
- उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास
Key Points
Additional Information
तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं।
आधुनिक काल गद्य Question 8:
'मानस का हंस' उपन्यास अमृतलाल नागर के अनुसार रामनवमी के दिन कहाँ पर पूरा हुआ था?
Answer (Detailed Solution Below)
आधुनिक काल गद्य Question 8 Detailed Solution
'मानस का हंस' उपन्यास अमृतलाल नागर के अनुसार रामनवमी के दिन लखनऊ में पर पूरा हुआ था।Key Pointsमानस का हंस उपन्यास -
- लेखक - अमृतलाल नागर
- प्रकाशन वर्ष - 1972 ई.
- मुख्य पात्र - तुलसीदास, हुलसी, बाबा नरहरी दास, पार्वती, मोहिनी, रत्नावली, शेष सनातन, टोडर, जयराम साह, गंगाराम, कैलाश, मेघा भगत, गंगेश्वर, तारापति, रामकली, रामू द्विवेदी, संत बेनी माधव दास, वैदेही वल्लभ, रवि दत्त, बटेश्वर दत्त, मैंना कहारिन।
- मुख्य- इसमें लेखक ने रामबोला से तुलसी तक की यात्रा को प्रस्तुत किया है।
- महाकवि का जीवन तमाम द्वंदो एवं अंतरविरोधों के बीच उभरकर सामने आया है।
- यह उपन्यास कुल 31 अंकों में विभाजित है।
- कथा का आरंभ मुगलों द्वारा की जा रही लूटपाट से होता है।
- महाकाल (1947 ई.)
- सेठ बांकेमल (1955 ई.)
- बूंद और समुद्र (1956 ई.)
- शतरंज के मोहरे (1959 ई.)
- सुहाग के नूपुर (1960 ई.)
- अमृत और विष (1966 ई.)
- नाचो बहुत गोपाल (1978 ई.)
- खंजन नयन (1981 ई.)
- बिखरे तीनके (1982 ई.)
- अग्निगर्भा (1983 ई.)
- करवट (1985 ई.)
- पीढियाँ (1990 ई.)
अमृतलाल नागर को अमृत और विष उपन्यास के लिए (1967 ई.) में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।
आधुनिक काल गद्य Question 9:
इनमें से 'हानूश' नाटक के लेखक कौन हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
आधुनिक काल गद्य Question 9 Detailed Solution
'हानूश' नाटक के लेखक भीष्म साहनी है।
- रचना - हानूश
- विधा - नाटक
- लेखक - भीष्म साहनी
विशेष -
- इस नाटक में हानूश (मुख्य पत्र का नाम) की दुर्दमनीय सिसृक्षा दिखाई गयी है।
- दुर्दमनीय इच्छा को उसने सत्य कर दिखाया है। फिर भी सत्ता और धर्म ने उसे कुचलने का काम किया है।
- परिवारिक तनावों का बहुत ही सटीक चित्रण दिखता है।
- जन्म (आविष्कार) देने का भाव और अपना (स्वयं का ही समझना) कहने का भाव भी सूचित हुआ है।
Important Pointsभीष्म साहनी -
- जन्म - 8 अगस्त, 1915, रावलपिंडी
रचनाएँ -
- कहानी संग्रह
- भाग्य रेखा
- पहला पाठ
- भटकती राख
- पटरियाँ
- ‘वांङ चू’ शोभायात्रा
- निशाचर
- मेरी प्रिय कहानियाँ
- अहं ब्रह्मास्मि
- अमृतसर आ गया
- चीफ़ की दावत
- नाटक संग्रह
- हानूस
- कबिरा खड़ा बाज़ार में
- माधवी
- गुलेल का खेल (बालोपयोगी कहानियाँ)।
- मुआवज़े
- उपन्यास संग्रह
- झरोखे
- कड़ियाँ
- तमस
- बसन्ती
- मायादास की माड़ी
- कुन्तो
- नीलू निलीमा निलोफर
- अन्य
- पहला पथ
- भटकती राख
- पटरियाँ
- शोभायात्रा
- पाली
- दया
- कडियाँ
- आज के अतीत
- सम्मान -
- 1998 - पद्म भूषण सम्मान
- 2017 - पोस्टल स्टैंप जारी हुआ
- 1975 - उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट के द्वारा तमस रचना के लिए
- 1989 - शिरोमणि लेखक अवार्ड
- 1975 - लोटस अवार्ड
- 1983 - सोवियत लैंड नेहरू अवॉर्ड
- 1999 - सलाका सम्मान
- 2001 - मैथिलीशरण गुप्त सम्मान
- 2001 - संगीत नाटक एकेडमी अवार्ड
- 2002 - सर सैयद नेशनल अवार्ड
- 2004 - कॉलर ऑफ नेशन अवार्ड
- मध्यप्रदेश कला साहित्य परिषद अवार्ड भी इन्हें मिला है।
निधन - 11 जुलाई, 2003
आधुनिक काल गद्य Question 10:
अंधायुग के रचनाकार हैं -
Answer (Detailed Solution Below)
आधुनिक काल गद्य Question 10 Detailed Solution
उपर्युक्त प्रश्न का सही उत्तर धर्मवीर भारती है
Key Points
- अंधा युग, धर्मवीर भारती द्वारा रचित हिंदी काव्य नाटक है।
- इस गीतिनाट्य का प्रकाशन सन् 1955 ई. में हुआ था। इसका कथानक महाभारत युद्ध के अंतिम दिन पर आधारित है।
- इसमें युद्ध और उसके बाद की समस्याओं और मानवीय महत्वाकांक्षा को प्रस्तुत किया गया है।
Additional Information
- धर्मवीर भारती (24 दिसंबर, 1926- 4 सितंबर, 1997) आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे।
- वे एक समय की प्रख्यात साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग के प्रधान संपादक भी थे।
- डॉ धर्मवीर भारती को 1972में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
- उनका उपन्यास गुनाहों का देवता सदाबहार रचना मानी जाती है।
- सूरज का सातवां घोड़ा को कहानी कहने का अनुपम प्रयोग माना जाता है.